Kisan Update 2024: धान ख़रीफ़ मौसम की एक महत्वपूर्ण फसल है खरीफ सीजन में ज्यादातर किसान मुख्य रूप से धान की खेती करते हैं ऐसे में किसान धान की खेती के साथ हरी खाद का उत्पादन कर धान की पैदावार बढ़ा सकते हैं किसान इस हरी खाद को धान के खेत में ही तैयार कर सकते हैं इससे किसानों को दोहरा लाभ होगा एक तो यह धान की फसल के लिए हरी खाद का काम करेगा और दूसरा यह कि इसे जानवरों को भी खिलाया जा सकेगा इससे गाय भैंस जैसे दुधारू पशुओं के दूध की मात्रा भी बढ़ेगी इस प्रकार इस हरे चारे की खाद को धान के खेतों में उगाकर किसान दोहरा लाभ प्राप्त कर सकते हैं
जानिए किसान यह हरी खाद क्या है
किसान इस वर्ष धान के साथ अजोला की खेती कर धान का उत्पादन बढ़ा सकते हैं किसान अजोला का उपयोग धान के खेतों में हरी खाद के रूप में कर सकते हैं इससे धान की फसल को नाइट्रोजन सहित अन्य पोषक तत्व मिलेंगे और इससे धान की उपज और गुणवत्ता में वृद्धि होगी खास बात यह है कि यह खाद बहुत ही कम समय में तैयार हो जाती है इसके प्रयोग से धान के पौधे अच्छे से विकसित होते हैं और इसका उत्पादन बढ़ता है
धान के खेत में किसान हरी खाद कैसे तैयार करें
किसान धान के खेतों में आसानी से अजोला के रूप में हरी खाद तैयार कर सकते हैं और धान की फसल में इसका बेहतर उपयोग कर सकते हैं इसके लिए किसान को धान की रोपाई से पहले 2 से 4 इंच पानी से भरे खेत में 10 टन ताजा अजोला डालना चाहिए इसके साथ ही इसके ऊपर 30 से 40 किलोग्राम सुपर फॉस्फेट का छिड़काव करें अजोला की वृद्धि के लिए 30 से 35 डिग्री सेल्सियस का तापमान बहुत अनुकूल होता है खास बात यह है कि अजोला धान के खेत में छोटे-छोटे खरपतवारों को दवा देता है जिससे फसल को नुकसान नहीं होता है इसके अलावा धान की फसल में हरी खाद अजोला का प्रयोग करने से धान की उपज 5 से 15 प्रतिशत तक बढ़ जाती है
अजोला हरी खाद के जानिए मुख्य लाभ क्या हैं
धान की फसल में अजोला हरी खाद का प्रयोग करने से किसानों को उपज बढ़ाने में मदद मिलती है अजोला हरी खाद के मुख्य लाभ इस प्रकार हैं
- एजोला वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड और नाइट्रोजन को कार्बोहाइड्रेट और अमोनिया में परिवर्तित कर सकता है
- जब एजोला विघटित होता है तो यह फसल को नाइट्रोजन और मिट्टी को कार्बन प्रदान करता है जो फसल और मिट्टी के लिए बहुत उपयोगी होता है
- यह मिट्टी और पौधों की जड़ों में मौजूद सूक्ष्म जीवों को ऑक्सीजन प्रदान करने में भी मदद करता है
- धान की फसल में अजोला का प्रयोग करने से लगभग 20 से 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से नाइट्रोजन उर्वरक मिलता है जो फसल की वृद्धि के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
- यह सिंचित धान के खेतों में वाष्पीकरण की दर को कम करता है जिससे पानी की बचत होती है।
अजोला उर्वरक की किसान जानिए मुख्य विशेषताएं
अजोला उर्वरक बहुत तेजी से तैयार होने वाला उर्वरक है जो धान की फसल और पशुओं के लिए बहुत उपयोगी है इस हरी खाद की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं
- अनुकूल वातावरण में अजोला 5 से 6 दिन में दोगुनी गति से बढ़ता है यदि इसे पूरे वर्ष बढ़ने दिया जाए तो यह प्रति हेक्टेयर 300-350 टन तक उपज दे सकता है
- इससे बनी हरी खाद से प्रति हेक्टेयर 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्राप्त होती है इसमें 3.3 से 3.5 प्रतिशत नाइट्रोजन तथा कई प्रकार के कार्बनिक पदार्थ होते हैं जो खेत की उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं
- अजोला से किसान कम लागत में बेहतर जैविक खाद प्राप्त कर सकते हैं इसके साथ ही किसान अजोला का उपयोग पशु आहार के रूप में भी कर सकते हैं
- पशुओं को अजोला खिलाकर उनके दूध की मात्रा बढ़ाई जा सकती है
- इस प्रकार अजोला हरी खाद न केवल धान की पैदावार बढ़ाती है बल्कि पशुओं के दूध की पैदावार बढ़ाने में भी सहायक है इस प्रकार किसानों को इस हरी खाद से दोहरा लाभ मिल सकता है
किसान धान की अधिक उपज के लिए एजोला का उपयोग कैसे करें
धान के खेतों में, अजोला हरी खाद को धान की रोपाई से पहले पानी वाले खेत में दो से तीन सप्ताह तक अकेले उगाया जाता है इसके बाद धान की रोपाई से पहले खेत में भरे पानी को बाहर निकाल दिया जाता है और अजोला फर्न को खेत में मिला दिया जाता है. इस खाद का उपयोग आप धान की रोपाई के बाद भी कर सकते हैं. इसके लिए धान की रोपाई के एक सप्ताह बाद पानी भरे खेत में 4-5 क्विंटल ताजा अजोला छिड़क सकते हैं
इससे धान में रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम होगी और धान की पैदावार भी बढ़ेगी। अजोला मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार करता है और धान की उपज बढ़ाता है ऐसे में किसान इस हरी खाद का उपयोग कर धान की पैदावार के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ा सकते हैं