Sugarcane Update 2024: जुलाई और अगस्त में गन्ना किसानों को सतर्क रहना बहुत जरूरी है क्योंकि इस दौरान लाल सड़न रोग का प्रकोप गन्ने की फसल में बढ़ जाता है जो कि गन्ने की फसल के लिए बेहद घातक हो सकता है उचित देखभाल प्रबंधन और समय पर रोग नियंत्रण उपायों को अपनाकर किसान अपने गन्ने की फसल को इन सभी रोगों से बचाया जा सकता है
इस समय गन्ने की फसल में अधिक रोग लगता है
गर्मी और सर्दियों में बोई जाने वाली गन्ने की फसल जुलाई और अगस्त में तेजी से बढ़ने लगती है लेकिन यह बढ़ती गन्ने की फसल जुलाई और अगस्त में लाल सड़न रोग से प्रभावित होने लगती है यह रोग बेहद विनाशकारी साबित हुआ है इसे गन्ने का कैंसर भी कहा जाता है लाल सड़न रोग के लक्षण जुलाई या फिर अगस्त से दिखने लगते हैं और यह रोग गन्ने की कटाई से लेकर चीनी मिलों तक सब पर असर डालता है लाल सड़न रोग के कारण फसल की पैदावार में 44 फीसदी तक का नुकसान हो सकता है।
इस रोग ने कई बेहतरीन गन्ने की किस्मों को बहुत नुकसान पहुंचाया है फिलहाल इसका सबसे ज्यादा असर गन्ने की CO-238 किस्म पर पड़ा है लाल सड़न रोग के कारण गन्ने का ऊपरी भाग सूख जाता है और किसानों को चारे के लिए गन्ने का ऊपरी भाग नहीं मिल पाता है जब यह लाल सड़न रोग गन्ने को प्रभावित करता है तो वैज्ञानिकों को उस किस्म को सामान्य खेती में से हटाकर नई रोग प्रतिरोधी किस्म विकसित करनी होती है
जुलाई और अगस्त के महीने में गन्ना किसान रहें सतर्क
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार जुलाई और अगस्त से लाल सड़न रोग के लक्षण दिखने लगते हैं गन्ने की पत्तियों का पीला पड़ना मध्य अक्ष की तीसरी और चौथी पत्तियों का सूखना तथा पत्तियों की ऊपरी सतह पर बारीक लाल धब्बे बनना इसके मुख्य लक्षण हैं जब गन्ना फट जाता है तो उसके तने का गूदा लाल रंग का देखने को मिलता है तथा उस पर सफेद धब्बे होते हैं।
फटे हुए गन्ने के भाग से सिरके जैसी गंध आती है तथा गन्ना बहुत आसानी से भी टूट जाता है रोग नियंत्रण के लिए विशेष विधि के बजाय IPM एकीकृत रोग प्रबंधन रणनीति सबसे बेहतर है लेकिन यदि जुलाई और अगस्त के महीने में गन्ने की फसल में इस रोग के लक्षण दिखाई दें तो प्रभावित पौधों को किसान अपने खेत से निकालकर जला दें तथा 1 लीटर पानी में 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम या मैंकोजेब मिलाकर छिड़काव जरूर करना होगा इसके बाद किसान अपने खेत की मेड़ों को भी ऊंचा कर दें ताकि पानी दूसरे खेतों में नहीं जाए तथा ऐसे करने से लाल सड़न रोग को फैलने से रोका जा सके
गन्ना किसान और चीनी मिलों को भी नुकसान
एक आंकड़े के अनुसार लाल सड़न रोग के कारण गन्ने की उपज में 29% और चीनी की रिकवरी में 31% की कमी आ जाती है गन्ने में चीनी के उत्पादन के दौरान इनवर्टेज नामक एंजाइम बनता है जो सुक्रोज को ग्लूकोज और फ्रुक्टोज में तोड़ देता है और यह दोनों ही शर्करा क्रिस्टल के रूप में जम नहीं पाती हैं ऐसे में गुड़ की मात्रा बहुत अधिक बढ़ जाती है और चीनी की गुणवत्ता बहुत कम हो जाती है लाल सड़न रोग के कारण गन्ने की किस्म को किसान सामान्य खेती से हटाना ही पड़ेगा और नई रोग प्रतिरोधी गन्ने की किस्म विकसित करनी होगी है
गन्ने की फसल पर यह दुश्मन जल्दी हमला करता है
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार लाल सड़न रोग का संक्रमण हवा और बारिश के पानी सिंचाई के पानी और भारी ओस के माध्यम से दूसरे क्षेत्रों में फैल सकता है लाल सड़न रोग के फैलने के लिए औसत तापमान 29.4 से 31 डिग्री सेल्सियस के बीच में होता है अगर एक खेत में लगातार एक ही गन्ने किस्म की खेती करने से लाल सड़न रोग का प्रकोप अधिक बढ़ जाता है मिट्टी का पीएच मान 5-6 होने पर भी लाल सड़न रोग फैलता है आजकल लाल सड़न रोग गन्ने की फसल पर बहुत नुकसान पहुंचा रहा है जो की एक गंभीर खतरा किसानों के लिए बन गया है
किसान गन्ने की बुवाई से पहले करें ये काम
जब भी गन्ना किसान अपने खेत में गन्ना बो रहे हों तो उन्हें रोग मुक्त नर्सरी से बीज लेना चाहिए गन्ना बोने से पहले हर बीज की अच्छी तरह जांच कर लेनी चाहिए संक्रमित बीज का इस्तेमाल नहीं करें कार्बेन्डाजिम का घोल बनाकर 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम और 2 ग्राम एसिटिक एसिड को एक लीटर पानी में मिलाकर उसमें गन्ने के बीज को 30 मिनट तक भिगोएं और फिर किसान अपने खेत में गन्ने की बुवाई करें यह रसायन गन्ने के पेड़ों के चारों ओर एक परत बनाता है जो कीटों को भी मारता है और किसानों के अंकुरण को भी बहुत बढ़ाता है
लाल सड़न रोग से बचाव के सभी किसान जानिए उपाय
- अगर आप भी एक किसान है तो आपको रोगग्रस्त गन्ने के पौधों को उखाड़कर फेंक दे या फिर जला देना होगा
- किसान अपने खेत में गन्ने की रोग प्रतिरोधी किस्मों की बुवाई किसानों को करनी चाहिए
- गन्ने की फसल में किसान अपने खेत की निगरानी करते रहें और रोगग्रस्त गन्ने के पौधे को तुरंत हटा देना होगा
- गन्ने की लाल सड़न बीमारी से प्रभावित खेत की मेड़ ऊंची रखें ताकि बारिश और सिंचाई के पानी का बहाव नियंत्रित रहे
- इसलिए गन्ने की फसल को लाल सड़न बीमारी से बचाने के लिए सतर्कता और उचित प्रबंधन जरूरी है तभी गन्ने की फसल को इस खतरनाक बीमारी से बचाकर सभी किसान गन्ने की फसल से बेहतर पैदावार कर सकते है