Kisan News तरबूज का नाम सुनते ही हमारे दिमाग में एक ही तस्वीर उभरती है और वो ये कि तरबूज बाहर से हरा और अंदर से लाल होता है लेकिन अब किसान ऐसे तरबूज की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं जिसका रंग बाहर से तो हरा होता है लेकिन काटने के बाद अंदर से लाल नहीं बल्कि पीला होता है कहा जाता है कि यह तरबूज लाल तरबूज से भी ज्यादा मीठा और स्वादिष्ट होता है खास बात यह है कि इसकी बाजार कीमत लाल तरबूज से दोगुनी है ऐसे में किसान इस प्रकार के तरबूज की खेती कर अपनी आय बढ़ा रहे हैं भारत में इसकी खेती महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में की जा रही है हालाँकि इसकी खेती सबसे पहले अफ़्रीका में की गई थी इसके बाद इसकी खेती भारत में भी की जाने लगी है
आपको बता दें कि लाल तरबूज से पहले किसान केवल पीले तरबूज की खेती की जाती थी इसे डेजर्ट किंग के नाम से जाना जाता था इसके बाद लाल तरबूज की एक किस्म तैयार करने के लिए क्रॉस-ब्रीडिंग की गई जिसके बाद पीले तरबूज की खेती कम हो गई अब केवल लाल तरबूज़ की ही खेती की जाती है लेकिन अब किसान फिर से पीले तरबूज की खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं
पीले ताइवानी तरबूज के प्रकार
भारत में दो प्रकार के ताइवानी तरबूजों की खेती की जा रही है जिसमें पहला तरबूज बाहर से हरा और अंदर से पीला होता है जबकि दूसरा बाहर से पीला और अंदर से लाल है वर्तमान में किसान पीले ताइवानी तरबूज की खेती कर रहे हैं जो बाहर से पीला और अंदर से लाल होता है यहां हम आपको इस प्रकार के तरबूज की खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं इसकी फसल कम समय में जल्दी तैयार हो जाती है
पीले तरबूज की खेती से कितना मुनाफा कमाया जा सकता है
ताइवान के विशाला बीज से पीले तरबूज की खेती की जा सकती है इसके लिए दिसंबर माह में एक एकड़ में 6 हजार पौधे लगाए जा सकते हैं इस खेती में करीब 1.10 लाख रुपये की लागत आती है प्रति पौधा लागत लगभग 25 रुपये है इसके साथ ही सीट में सीट लगाने की लागत 16,000 रुपये और निचली सीट पर 80,000 रुपये है जैविक खेती करके किसान सारे खर्च निकालकर भी 1 लाख रुपये कमा सकते हैं
पीले तरबूज में कई तरह के पोषक तत्व होते हैं
लाल तरबूज की तुलना में पीले तरबूज में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं इसमें विटामिन बी, सी, ए, आयरन मैग्नीशियम फॉस्फोरस बीटा कैरोटीन आदि पोषक तत्व पाए जाते हैं यह तरबूज शरीर को लंबे समय तक हाइड्रेटेड रखता है इसके सेवन से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है ऐसे में वजन कम कर रहे लोग भी इसका सेवन कर सकते हैं
बाजार में पीले तरबूज की कितनी कीमत होगी
सामान्य तरबूज की कीमत 30 रुपये प्रति किलो है जबकि तरबूज जो अंदर से लाल और बाहर से पीला होता है उसकी कीमत 50 रुपये प्रति किलो है इसी तरह अंदर से पीला और बाहर से हरा तरबूज की कीमत भी 50 रुपये प्रति किलो है
किसानों को पीले तरबूज़ की खेती के लिए बीज कहाँ से मिलेगा
पीले तरबूज की खेती के बीज आप उद्यान विभाग की नर्सरी से प्राप्त कर सकते हैं इसके अलावा किसानों को ऑनलाइन साइटें भी पीले तरबूज के बीज बेचती हैं आप इसके बीज वहां से प्राप्त कर सकते हैं
पीले तरबूज की खेती किसानों को कैसे करनी होगी
लाल तरबूज की तरह पीले तरबूज की भी खेती की जाती है इसमें अधिक खाद या रासायनिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है इसकी खेती पूरी तरह से जैविक तरीके से की जाती है तरबूज की खेती के लिए उपजाऊ एवं अच्छे जल निकास वाली भूमि की आवश्यकता होती है। लाल रेतीली एवं मध्यवर्ती भूमियों में इसकी उपज अच्छी होती है।
मिट्टी का पीएच मान 6-7 होना चाहिए खेत की गहरी जुताई करने के बाद खेत को समतल कर लें तरबूज़ को सीधे भी बोया जा सकता है या फिर इसे लगाकर भी बोया जा सकता है उत्तर भारत में इसकी बुआई का समय जनवरी से मार्च और नवंबर से दिसंबर है इसे कई प्रकार से बोया जा सकता है जैसे क्यारियों में रोपण करना गड्ढे खोदना मौसम और मौसम के अनुसार क्यारियों में रोपण करना आदि
किसान तरबूज की बुआई गड्ढा खोदकर करें
अगर आप इसे गड्ढा खोदकर बो रहे हैं तो आपको 60X60X60 सेमी आकार का गड्ढा खोदना होगा इसमें दो पंक्तियों के बीच की दूरी 2 से 3.5 मीटर और पौधे से पौधे की दूरी 0.6 से 1.2 मीटर रखनी चाहिए पौधे के बीज की गहराई 2-3 सेमी होनी चाहिए अब गड्ढों को सुर्ख मिट्टी से अच्छी तरह भर दें और संघनन के बाद प्रत्येक गड्ढे में एक-एक पौधा रखें
क्यारियों में तरबूज बोना
अगर आप क्यारियों में तरबूज के बीज बो रहे हैं तो क्यारियों के एक तरफ बीज लगाएं एक बार में 3-4 बीज बोएं और स्थापना के बाद एक स्वस्थ अंकुर रखें पौधों के बीच की दूरी 60-90 सेमी होनी चाहिए
मेड़ पर तरबूज की बुआई
अगर आप इसे मेड़ों पर उगाना चाहते हैं तो आपको 1 से 1.5 मीटर की दूरी पर 30X30X30 सेमी के गड्ढे लगाने चाहिए एक टीले पर दो बीज बोने चाहिए
बीज की मात्रा एवं बीज उपचार
एक एकड़ में बुआई के लिए 1.5 से 2 किलोग्राम बीज की आवश्यकता होती है बीज को बोने से पहले प्रति किलोग्राम 2 ग्राम कार्बेन्डाजिम से उपचारित करना चाहिए इसके बाद बीजों को 4 ग्राम ट्राइकोडर्मा विराइड से उपचारित करना चाहिए बीजों को छाया में सुखाकर ही बोना चाहिए