आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चन्द्रशेखर आजाद पर 28 जून को सहारनपुर के देवबंद में जानलेवा हमला हुआ था। स्विफ्ट कार में आए हथियारबंद बदमाशों ने उनके काफिले पर फायरिंग कर दी. इस दौरान एक गोली चन्द्रशेखर की पीठ को छूती हुई निकल गयी, जिससे वह घायल हो गये. फिलहाल, चन्द्रशेखर खतरे से बाहर हैं और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। वहीं इस हमले के बाद चन्द्रशेखर आजाद ने यूपी तक खास बातचीत की है.
सीएम योगी के ट्वीट न करने पर चंद्रशेखर ने कही ये बात?
बातचीत में चन्द्रशेखर आजाद ने कहा कि इतनी बड़ी घटना के बाद क्या आपने मुख्यमंत्री का कोई बयान सुना और मेरी मौत से किसे फायदा होगा. यह एक राजनीतिक विषय है. लेकिन मेरी वजह से किसी को परेशानी हो तो ये बड़ा सवाल है. आप मुझे मेरी जाति के कारण दलित नेता कहते रहेंगे लेकिन मैं सभी के लिए लड़ता हूं। चाहे वो पहलवानों के लिए हो या सीए एनआरसी पर लड़ाई हो.
‘गोली लगने के बाद मेरा दोबारा जन्म हुआ’
हमले के बारे में चन्द्रशेखर आज़ाद ने बताया कि, ‘अगर गोली 1 इंच भी इधर होती तो मेरे पेट के पार हो जाती. इतने बड़े हमले के बाद मुझे पुनर्जन्म मिला है। मैं अपना जीवन अपने महात्माओं के सपनों को पूरा करने के लिए समर्पित कर दूंगा।’
क्या पहले भी हुआ है इस प्रकार का हमला?
चन्द्रशेखर आजाद ने बताया कि, ‘मेरे घर की कई बार रेकी की गई है और मैंने अधिकारियों को इसकी जानकारी दी थी. 2 साल पहले भी ऐसी ही घटना हुई थी. लेकिन उन्होंने इस विषय पर गंभीरता से विचार नहीं किया. हाल ही में जब मैं नोएडा गया था तो नोएडा में भी किसी ने हमारी कार के आगे और पीछे कुछ कर दिया था. मैंने कभी सोचा नहीं था कि मेरे ही जिले में ऐसा होगा. क्योंकि मेरा किसी से कोई व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है. वैचारिक टकराव हो सकता है और मुझे समझ नहीं आता कि कोई राजनीतिक फायदे के लिए ऐसा कर सकता है.’
चन्द्रशेखर आजाद ने किया खुलासा हमलों की आपबीती
बातचीत में चंद्रशेखर आजाद ने बताया, ‘मैं दिल्ली से वापस आ रहा था. एक साथी कार्यकर्ता की माँ का निधन हो गया था। मैं उसके घर गया और वहां से वापस आया. मुझे एक साधु की मृत्यु हो गई थी और उनके दर्शन के लिए जाना था और मैं मुश्किल से 50 मीटर ही आगे बढ़ पाया।
मैं फ़ोन देख रहा था तभी एक गोली शीशे पर लगी और शीशा ब्लास्ट हो गया. बमुश्किल 20 सेकेंड के अंदर 3 से 4 गोलियां चल गईं. जिस कार से शूटिंग चल रही थी वो मेरा पीछा कर रही थी. हमलावरों की कार 5 से 10 मीटर की दूरी पर रुकती है और उसमें से एक लड़का झूलता हुआ बाहर आता है. वह मुझ पर फायरिंग कर रहा है.’
इस बीच, मेरा ड्राइवर मनीष गाड़ी आगे बढ़ाता है और यू-टर्न लेता है और गाड़ी को वापस लाता है। जब उन्हें पता चला कि मैं जिंदा हूं तो उन्होंने मुझ पर दोबारा गोली चला दी.’ गांव में ले जाकर मैंने गाड़ी रोकी और वहीं से उच्च अधिकारियों को फोन किया. तभी मैंने गाड़ियों में गोलियां देखीं और मुझे भी उस वक्त गोलियां लगी थीं.’ फिर हॉस्पिटल गए.
क्या हमले के पीछे है कोई साजिश?
बातचीत में चन्द्रशेखर आजाद ने बताया कि, ‘मुझे यह भी जानने की जिज्ञासा है कि कौन मुझे मारना चाहता है और मेरी मौत से किसे फायदा होता है। जिस स्थान से गाड़ी बरामद हुई वह गुर्जर समाज का गांव है।
मुझे लगता है कि वह दलितों और गुज्जरों के बीच टकराव पैदा करना चाहते थे.’ अगर मैंने अपील नहीं की होती तो नतीजा कुछ और हो सकता था.’ क्योंकि मेरे साथ-साथ वह भी मेरे लिए मरने को तैयार है।’
आज की सरकारें हमें सीबीआई, ईडी, इनकम टैक्स और मुकदमों से डराती हैं और मैं इन सबसे नहीं डर सकता। क्योंकि मेरे ऊपर कई मुकदमे हैं और मैं जेल भी जा चुका हूं, इसलिए सिर्फ गोलियों का डर था. उसने वो गोली मुझ पर भी चला दी.
चंद्रशेखर ने कहा मायावती पर कही ये बात?
चन्द्रशेखर आजाद ने कहा, ‘मुझे लगता है इसमें कुछ तो अच्छा होगा कि मेरे हमले पर मायावती ने कुछ नहीं कहा और उनका प्यार और आशीर्वाद मुझे पहले से मिलता रहा है. और मुझे लगता है कि उनकी खामोशी में भी मेरे लिए कुछ अच्छा होगा.